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1983 वर्ल्ड कप फाइनल में कौन था मैन ऑफ द मैच?

1983 वर्ल्ड कप

हाल ही में रिलीज हुई मूवी ’83’ ने क्रिकेट की सुनहरी यादें ताजा कर दीं। आज के युवा 2011 वर्ल्ड कप के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को तो पहचानते हैं। लेकिन असली जादूगर कपिल देव को ज्यादा नहीं जानते। इस फिल्म ने दिखाया, कि अब हम चाहे जितने वर्ल्ड कप जीत लें। लेकिन 1983 के वर्ल्ड कप से ज्यादा खास कुछ नहीं। भारतीय क्रिकेट बोर्ड की स्थिति जो अब है। वैसे हालात उस समय नहीं थे। आइए जानते हैं 1983 वर्ल्ड कप की चैंपियन टीम से जुड़े फैक्ट्स…

करिश्माई कप्तान कपिल देव

1983 वर्ल्ड कप कपिल देव के लिए खास था। वे महज 24 साल के थे। टीम में उनसे सीनियर खिलाड़ी भी मौजूद थे। लेकिन कप्तान चुना गया कपिल को। सभी को लगा था कि टीम इंडिया ग्रुप दौर में ही हारकर बाहर हो जाएगी। लेकिन सिर्फ कप्तान कपिल को भरोसा था कि उनकी टीम विश्व चैंपियन बनेगी।

कपिल देव ने 8 मैचों में 60.60 के एवरेज से 303 रन बनाए थे। कपिल ने जिम्बाब्वे के खिलाफ टनब्रिज वेल्स में नाबाद 175 रन बनाए थे। यह उस दौर का वर्ल्ड रिकॉर्ड था।
यही नहीं, उन्होंने अपनी मीडियम फास्ट बॉलिंग से 12 विकेट भी झटके थे। उनका बेस्ट परफॉर्मेंस 43 रन देकर 5 विकेट का था। जो कि कपिल ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नॉटिंघम मैच में दिया। इंडिया को 1983 वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचाने में भी कपिल की गेंद ने कमाल किया था। उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में कुल 35 रन देकर 3 बल्लेबाजों को आउट किया था।

कपिल ने एग्जाम्पल के साथ टीम की कप्तानी की। उन्होंने टीम के खिलाड़ियों में विश्वास जगाया कि वे वर्ल्ड चैंपियन बन सकते हैं।

मोहिंदर अमरनाथ – द जैंटलमैन लाला

टीम इंडिया को 1983 वर्ल्ड कप चैंपियन बनाने में दूसरा बड़ा हाथ रहा मोहिंदर अमरनाथ का। देश के दिग्गज क्रिकेटर रहे लाला अमरनाथ के बेटे मोहिंदर पर पिता की उम्मीदों का बोझ भी था। उन्होंने प्रैशर में टूटने की जगह, बेहतरीन प्रदर्शन किया।

जिमी के नाम से पॉपुलर अमरनाथ ने 8 मैचों में 237 रन बनाए। उन्होंने कोई बड़ा शतक तो नहीं लगाया, लेकिन हर मैच में रन जरूर बनाए। सेमीफाइनल मैच में उन्होंने 46 रन की यादगार पारी खेली। उसी के दमपर टीम इंडिया वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंच पायी।

अमरनाथ ने बॉल से भी बेहतरीन काम किया। उन्होंने 6 पारियों में 22.25 के एवरेज से 8 विकेट झटके। 1983 वर्ल्ड कप फाइनल में उन्होंने कुल 12 रन देकर 3 अहम विकेट झटके। वे मैन ऑफ द मैच रहे।

रॉजर बिन्नी – बॉल से किया ब्लास्ट

1983 वर्ल्ड कप रिचर्ड हैडली (इंग्लैंड), मैल्कम मार्शल, माइकल होल्डिंग, एंडी रॉबर्ट्स (वेस्ट इंडीज) और अब्दुल कादिर (पाकिस्तान) जैसे दिग्गजों से सजा था। इसके बावजूद टूर्नामेंट में सर्वाधिक विकेट झटके इंडिया के रॉजर बिन्नी ने। उन्होंने 18.66 के एवरेज से 18 विकेट लिए।

एक वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने का वर्ल्ड रिकॉर्ड 16 साल तक बिन्नी के नाम रहा। साल 1999 के वर्ल्ड कप में शेन वॉर्न और न्यूजीलैंड के ज्यॉफ एलॉट ने तोड़ा। इन दोनों ही बॉलर्स ने 20-20 विकेट लिए। 2011 में जहीर खान वर्ल्ड कप में सर्वाधिक विकेट लेने वाले इंडियन बने।

यशपाल शर्मा – जिनसे थर्राए कैरिबियाई गेंदबाज

वनडे क्रिकेट में बेस्ट बल्लेबाजों में सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली जैसे दिग्गजों के नाम आते हैं। लेकिन 1983 वर्ल्ड कप में यशपाल शर्मा पहले ऐसे भारतीय थे, जिनसे कैरिबियाई दिग्गज तेज गेंदबाज थर्रा गए थे। मौका था टीम इंडिया का पहला ग्रुप मैच। मैनचेस्टर के मैदान पर इंडिया का सामना लगातार दो वर्ल्ड कप जीतने वाली वेस्ट इंडीज से था।

यशपाल शर्मा मिडिल ऑर्डर बैट्समैन रहे। उन्होंने उस मैच में 120 गेंदों का सामना करते हुए 89 रन बनाए थे। इसी पारी के दम पर इंडिया ने 262/8 का स्कोर खड़ा किया। जवाब में कैरिबियाई टीम 228 रन ही बना सकी। टीम इंडिया की इस जीत ने दुनियाभर के क्रिकेट फैन्स को शॉक कर दिया था।

कुछ ऐसी थी 1983 वर्ल्ड कप चैंपियन टीम

प्लेयररन विकेट
कप्तान कपिल देव30312
एस मदन लाल102 रन17
मोहिंदर अमरनाथ2378
यशपाल शर्मा2400
संदीप पाटिल2160
रॉजर बिन्नी7318
बलविंदर संधू288
रवि शास्त्री404
कृष्णमाचारी श्रीकांत1560
दिलीप वेंगसरकर370
सैय्यद किरमानी610
सुनील गावस्कर590
कीर्ति आजाद151
आंकड़ों का सोर्स – क्रिकइंफो
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