टेस्ट रैंकिंग में टीम इंडिया को नंबर 1 बनाने में फास्ट बॉलर्स का रोल अहम रहा है। मोहम्मद शमी हों या जसप्रीत बुमराह या इशांत शर्मा और भुवनेश्वर कुमार सभी ने हर मैदान पर विकेट झटके। टेस्ट जीतने के लिए 20 विकेट लेने जरूरी होते हैं। कभी सिर्फ स्पिन पर डिपेंड करने वाली इंडियन टीम की पेस बैटरी फुल चार्ज है। साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भी पेसर्स ने मेहमान टीम पर प्रेशर बनाया। आइए जानते हैं इंडियन टेस्ट इतिहास के बेस्ट फास्ट बॉलिंग परफॉर्मेंस के बारे में…
बूम-बूम बुमराह
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मौका था ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उसी के मैदान पर बॉक्सिंग डे टेस्ट का। 26 दिसंबर 2018 को मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर कप्तान विराट कोहली ने पहले बैटिंग चुनी। चेतेश्वर पुजारा (106) की सेंचुरी के दम पर इंडिया ने फर्स्ट इनिंग 443/7 के स्कोर पर डिक्लेयर की। अब बारी थी बॉलर्स की।
आरोन फिंच और शॉन मार्श जैसे दिग्गजों से सजी ऑस्ट्रेलियाई बैटिंग लाइन-अप को तोड़ना आसान नहीं था। लेकिन बुमराह ने यह कमाल कर दिखाया। उन्होंने कुल 33 रन देकर 6 बल्लेबाजों को पवैलियन भेजा। देखते ही देखते ऑस्ट्रेलियाई पारी कुल 151 रन पर सिमट गई।
कप्तान कोहली ने फॉलोऑन न देकर लीड बढ़ाने के लिए बैटिंग की। सेकंड इनिंग 106/8 के स्कोर पर डिक्लेयर कर 399 रन का टारगेट दिया।
बुमराह ने मेजबान टीम की सेकंड इनिंग में भी कमाल किया। उन्होंने 53 रन देकर 3 विकेट झटके। इंडिया मैच 137 रन से जीती। बुमराह को उनके ब्रिलियेंट परफॉर्मेंस के लिए प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया।
कपिल देव का कमाल
इंडिया के सबसे सफल ऑलराउंडर रहे कपिल देव का यह परफॉर्मेंस यादगार है। मौका था साल 1979-80 में पाकिस्तानी टीम भारत दौरे पर आई थी। 15 जनवरी 1980 को 6 मैचों की सीरीज का 5वां टेस्ट चेन्नई में था। पाकिस्तानी कप्तान आसिफ इकबाल ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग चुनी। कपिल देव ने करसन घावरी के साथ मिलकर पाकिस्तानी टीम को मुश्किल में डाल दिया। महज 73.4 ओवरों में पूरी पाक टीम 272 रन पर पवैलियन लौट गई। कपिल ने 90 रन देकर 4 विकेट झटके थे।
कप्तान सुनील गावसकर की सेंचुरी के दम पर इंडिया ने पहली पारी में 430 रन बनाए। उन्हें 158 रन की लीड मिली।
सेकंड इनिंग में कपिल पाकिस्तान पर कहर बनकर टूटे। उन्होंने ओपनर सादिक मोहम्मद को 0 पर आउट किया। कुछ ही देर बाद दूसरे ओपनर मुदस्सर नजर कपिल का शिकार बन गए। कपिल ने 56 रन देकर 7 विकेट चटकाए। पूरी पाकिस्तानी टीम 233 के स्कोर पर सिमट गई। इंडिया को कुल 76 रन का लक्ष्य मिला। हम 10 विकेट से जीते।
जहीर का जलवा
इंग्लैंड को उसी के मैदान पर हराना बिग अचीवमेंट है। साल 2007 में पेसर जहीर खान ने यह कारनामा किया था। 27 जुलाई 2007 को हुए नॉटिंघम टेस्ट में कप्तान राहुल द्रविड़ ने टॉस जीतकर गेंदबाजी चुनी। जहीर ने अपने कप्तान का फुल सपोर्ट किया। महज तीसरे ही ओवर में ओपनर एंड्रयू स्ट्रॉस जहीर के हाथों आउट हुए। जहीर ने 59 रन देकर 4 विकेट झटके। इंग्लैंड महज 198 रन पर ऑलआउट हुई।
जवाब में इंडिया ने फर्स्ट इनिंग में 481 रन बनाए। सेकंड इनिंग में भी जहीर का जलवा कायम रहा। 283 रन से पिछड़ी मेजबान टीम 355 रन बनाकर सिमट गई। कप्तान माइकल वॉन ने 124 रन की पारी खेली लेकिन जहीर के आगे वे भी न टिक पाए। जहीर ने 75 रन देकर 5 विकेट झटके। इंडिया ने मैच 7 विकेट से जीता। जहीर प्लेयर ऑफ द मैच रहे।
बेमिसाल आगरकर
मौका साल 2003-04 में इंडिया टूर ऑफ ऑस्ट्रेलिया का था। सीरीज का पहला मैच ड्रॉ हुआ। 12 दिसंबर को एडिलेड में दूसरा टेस्ट था। मेजबान कप्तान स्टीव वॉ ने पहले बैटिंग का फैसला किया था। रिकी पोंटिंग ने शानदार 242 रन की पारी खेली। मेजबान टीम 556 रन बनाकर ऑलआउट हुई। लग रहा था कि ऑस्ट्रेलिया यह मैच आसानी से जीत जाएगी, लेकिन आगरकर ने बाजी पलट दी। राहुल द्रविड़ (233) और वीवीएस लक्ष्मण (148) ने ब्रिलियेंट नॉक खेले। इंडिया की फर्स्ट इनिंग 523 रन पर सिमटी। दूसरी पारी में आगरकर ने जैसे आग लगा दी। उन्होंने कुल 41 रन देकर 7 बैट्समैन आउट किए। उनकी डेडली बॉलिंग के आगे मेजबान टीम 196 पर ऑलआउट हो गई। टीम इंडिया मैच 4 विकेट से जीती। द्रविड़ प्लेयर ऑफ द मैच रहे, लेकिन आगरकर ने दिल जीत लिया।
पठानी तेवर
मौका था साल 2005 में हुए जिम्बाब्वे टूर का। सीरीज का दूसरा टेस्ट 20 सितंबर को हरारे में हुआ। इरफान ने अपनी बॉलिंग से तीन दिन में ही मेजबान को पस्त किया था। कप्तान सौरव गांगुली ने पहले बॉलिंग चुनी थी। इरफान ने पहले ही ओवर में ब्रेंडन टेलर को स्लिप में कैच करवाया। देखते ही देखते मेजबान टीम 161 के स्कोर पर ऑलआउट हो गई। इरफान ने 59 रन देकर 7 विकेट झटके।
गौतम गंभीर (97) और राहुल द्रविड़ (98) की हाफ सेंचुरीज से इंडिया ने 366 रन बनाए। सेकंड इनिंग में इरफान और भी पैने दिखे। उन्होंने 67 रन देकर 5 विकेट झटके। जहीर खान ने भी 4 बैट्समैन आउट किए। 10 विकेट की जीत में इरफान प्लेयर ऑफ द मैच रहे।