कोलकाता का ईडन गार्डन्स पिंक बॉल टेस्ट मैच के लिए तैयार है। 22 नवंबर से यहां बांग्लादेश के खिलाफ दूसरा टेस्ट खेला जाएगा। दोनों टीमें पहली बार डे-नाइट टेस्ट खेलने जा रही है। साथ ही पहली बार टीम पिंक बॉल का सामना करेगी। नए बीसीसीआई प्रेसिडेंट सौरव गांगुली ने कप्तान विराट कोहली से पहली मुलाकात में ही इस टेस्ट का प्रपोजल रखा था। कोहली ने तुरंत ही डे-नाइट टेस्ट के लिए हां कह दिया। बता दें कि इंदौर में हुए पहले टेस्ट में मेजबान टीम पारी और 130 रन से जीती थी। मयंक अग्रवाल मैन ऑफ द मैच रहे थे। आइए जानें क्या हैं पिंक बॉल से डे-नाइट टेस्ट मैच के चैलेंजेस।
क्या है डे-नाइट टेस्ट
टेस्ट की घटती पॉपुलारिटी को देखते हुए आईसीसी ने डे-नाइट टेस्ट मैचों की शुरुआत की। ये मुकाबले वनडे मैचों की तरह अंडर फ्लडलाइट्स होते हैं। यानी दिन का खेल दोपहर में शुरू होकर रात तक चलता है। दिन का तीसरा सेशन ट्रेडिशनल रेड टेस्ट बॉल की जगह पिंक बॉल से खेला जाता है। facebook par karein FOLLOW
अब तक कितने डे-नाइट टेस्ट हुए
पहला डे-नाइट टेस्ट 27 नवंबर 2015 को ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड में खेला गया। उस मैच में मेजबान टीम ने न्यूजीलैंड को 3 विकेट से हराया था। अब तक टोटल 11 टेस्ट डे-नाइट हुए हैं। 12 में से 8 टेस्ट प्लेयिंग टीमें पिंक बॉल से खेली हैं। इंडिया और बांग्लादेश पहली बार डे-नाइट टेस्ट खेलेंगे।
वुमन क्रिकेट में सिर्फ ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड इस फॉर्मेट में खेली हैं। यह इकलौता टेस्ट 9-12 नवंबर 2017 को नॉर्थ सिडनी ओवल में खेला गया। वह मैच ड्रॉ पर खत्म हुआ।
स्टार्क हैं नंबर 1 बॉलर
डे-नाइट टेस्ट में सबसे ज्यादा विकेट ऑस्ट्रेलिया के मिचेल स्टार्क ने लिए हैं। उन्होंने 5 मैचों में 23 के एवरेज से 26 विकेट झटके। उनका बेस्ट इनिंग परफॉर्मेंस 5/88 का रहा।
डे-नाइट टेस्ट में 10 विकेट लेने का कारनामा कुल दो बॉलर कर सके हैं। पहले वेस्ट इंडीज के देवेंद्र बिशू। उन्होंने 13 अक्टूबर 2016 को पाकिस्तान के खिलाफ दुबई में 174 रन देकर 10 विकेट लिए। दूसरी बार ऑस्ट्रेलिया के पैट कमिन्स ने 10 विकेट झटके। 24 जनवरी 2019 को श्रीलंका के खिलाफ ब्रिसबेन में उन्होंने 62 रन देकर 10 बैट्समैन आउट किए।
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बैटिंग में अजहर टॉपर
पिंक बॉल का सामना करते हुए हाईस्कोर पाकिस्तान के अजहर अली ने बनाया। उन्होंने 13 अक्टूबर 2016 को वेस्ट इंडीज के खिलाफ दुबई में 302* रन बनाए। ओवरऑल उन्होंने तीन डे-नाइट मैचों में 91.2 के एवरेज से 456 रन बनाए हैं। इसमें एक ट्रिपल सेंचुरी के साथ दो फिफ्टी भी शुमार हैं।
ऑस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ दूसरे नंबर पर हैं। उन्होंने चार मैचों में 50.62 के एवरेज से 405 रन बनाए हैं। इस फॉर्मेट में सबसे ज्यादा सेंचुरी पाकिस्तान के असद शफीक के नाम हैं। उन्होंने 3 मैचों में दो सेंचुरी लगाई हैं।
50-50 है रिजल्ट
इस फॉर्मेट में अबतक कुल 11 टेस्ट हुए हैं। पहले बैटिंग करना सही है या बॉलिंग, इस पर कन्क्लूजन निकालना मुश्किल है। फिर भी 11 में से 6 मैचों में पहले बैटिंग करने वाली टीम जीती है। वहीं फोर्थ इनिंग में टार्गेट कुल 3 बार अचीव हुए हैं। अब तक चार मैचों में टीमें इनिंग के डिफ्रेंस से जीती हैं।
क्या अलग है पिंक बॉल में?
ट्रेडिशनल टेस्ट क्रिकेट रेड बॉल से खेला जाता है। यह गेंद वियर-एंड-टियर ज्यादा सहती है और लगभग 40-50 ओवर तक शाइन बरकरार रखती है। वहीं वनडे क्रिकेट की व्हाइट बॉल की शाइन 25-30 ओवरों में फीकी पड़ जाती है। डे-नाइट टेस्ट्स के लिए डिजाइन्ड पिंक बॉल फ्लड लाइट्स में भी विजिबल रहती है। रेड बॉल की तरह इसमें भी वियर-टियर कम होता है।
कोलकाता टेस्ट से पहले बेंगलुरु स्थित एनसीए में प्लेयर्स ने पिंक बॉल से प्रैक्टिस की। टीम इंडिया के टेस्ट वाइस कैप्टन अजिंक्य रहाणे ने इसे रेड बॉल से ज्यादा चैलेंजिंग बताया। उन्होंने कहा, “यह बॉल ट्रेडिशनल रेड बॉल से ज्यादा हवा में मूवमेंट करती है।” उन्होंने इसे टैकल करने का तरीका भी बताया। रहाणे के मुताबिक पिंक बॉल से स्कोर करने के लिए बैट बॉडी के क्लोज खेलना जरूरी है। तभी इसके मूवमेंट को बेअसर कर सकते हैं। बैट्समैन यदि मेंटली प्रिपेयर करें तो पिंक बॉल ज्यादा चैलेंजिंग नहीं होगी।
इंडिया के टॉप फास्ट बॉलर मोहम्मद शमी का कहना है, “जहां तक मैंने फील किया, पिंक बॉल की सीम ज्यादा उभरी हुई है। इसमें बॉलर को स्विंग में हेल्प मिलेगी। इस बॉल के खिलाफ टेक्निकल गलतियां करने वाले बैट्समैन ज्यादा नहीं टिक पाएंगे।”
डेंजर जोन
प्लेयर्स के मुताबिक सबसे ज्यादा मुश्किल शाम का वक्त होगा। जब फ्लड लाइट्स बस स्टार्ट ही होती हैं। उस वक्त पिंक बॉल विजिबिलिटी में दिक्कत कर सकती है। खासकर रिस्ट स्पिनर्स इस पीरियड में सबसे ज्यादा इफेक्टिव रहते हैं। कूकाबूरा पिंक बॉल की सीम ब्लैक है। सनसेट के वक्त सीम देखने में बैट्समैन को दिक्कत होती है। हालांकि कोलकाता टेस्ट में एसजी बॉल यूज होना है। उसकी सीम में ब्लैक और व्हाइट थ्रेड मिक्स रहते हैं। यदि वह पीरियड बैट्समैन अलर्ट रहकर निकाल लेते हैं तो बैटिंग आसान हो जाएगी।
बैट्समैन ही नहीं, बॉलर्स के लिए भी शाम का वक्त दिक्कत भरा रह सकता है। सर्दी का मौसम शुरू हो रहा है। ऐसे में शाम के वक्त ओस रहेगी। अगर ओस ने खलल डाला तो बैट्समैन आसानी से पिंक बॉल हैंडल कर लेंगे।
सचिन की सोच
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर भी पिंक बॉल टेस्ट को लेकर एक्साइटेड हैं। उनका मानना है कि डे-नाइट टेस्ट का आइडिया शानदार है। सिर्फ शाम के वक्त ड्यू फैक्टर गेम को अफेक्ट कर सकता है। ओस की वजह से बॉलर्स के लिए मुश्किल हो सकती है। यदि ओस से बॉल गीली हुई तो स्पिनर्स हों या पेसर, सभी परेशान हो जाएंगे।
“फैन्स के लिए यह बेहतरीन आइडिया है। ऑफिस-कॉलेज से लौटकर भी वे स्टेडियम में मैच देखने पहुंच सकते हैं। लेकिन ड्यू फैक्टर सबसे अहम है। क्योंकि इससे खेल का एक्साइटमेंट कम हो सकता है। फील्डिंग साइड के लिए शाम को ड्यू सबसे बड़ी प्रॉब्लम साबित हो सकता है।”
पिंक बॉल से डबल सेंचुरी लगा चुके हैं पुजारा
साल 2016, 2017 और 2018 के दुलीप ट्रॉफी मुकाबले डे-नाइट खेले गए। तीनों सीजन्स में पिंक बॉल का यूज हुआ। हालांकि इस साल रेग्युलर रेड बॉल यूज हुई। 2016 सीजन के फाइनल में चेतेश्वर पुजारा ने पिंक बॉल का सामना करते हुए डबल सेंचुरी लगाई। उन्होंने नाबाद 256 रन बनाए थे। रवींद्र जडेजा ने मैच में 10 विकेट झटके थे। उस फाइनल में मयंक अग्रवाल भी शामिल थे। उन्होंने फाइनल में 52 रन बनाए थे।