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BCCI presidentऐसे दबंग हैं गांगुली, BCCI प्रेसिडेंट के टॉप FACTS CricIndiaNow
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ऐसे दबंग हैं गांगुली, BCCI प्रेसिडेंट के टॉप FACTS

पूर्व क्रिकेटर सौरव गांगुली को बीसीसीआई प्रेसिडेंट चुना गया। इस खबर से क्रिकेट फैन्स के बीच खुशी की लहर है। अपने फेवरेट कैप्टन को सुप्रीम पोजिशन पर देख सभी खुश हैं। फैन्स ने उनका वेलकम दिल से किया है। ट्विटर पर पोस्ट की गई मीम और फोटो फैन्स की खुशी दिखाती हैं।

ऐसा रहा है न्यू BCCI प्रेसिडेंट का सफर

सौरव गांगुली एक योद्धा रहे हैं। फिर चाहे वो मैदान के अंदर हों या बाहर, हार या किसी भी प्रकार से झुकना उन्हें कतई पसंद नहीं। स्कूल क्रिकेट के दौरान हुआ ये किस्सा गांगुली के शानदार चरित्र को प्रमाणित करता है।

यह किस्सा तब का है जब गांगुली अंडर-15 क्रिकेट में अपने स्कूल सेंट जेवियर की टीम के साथ एक टूर पर गए हुए थे। एक मैच के दौरान गांगुली को टीम प्रबंधन ने 12वां खिलाड़ी नियुक्त किया। टीम में 12वां खिलाड़ी मैदान में खेल रहे 11 खिलाड़ियों के लिए पानी ले जाने, संदेश ले जाने, बल्ले, ग्लब्स आदि देने का काम करते हैं। बचपन से राजसी अंदाज में रहे गांगुली को ये काम अपनी हैसियत से नीचे का लगा और उन्होंने वो करने से साफ इनकार कर दिया।

जारी हैं दादा के रॉयल तेवर

गांगुली के ऐसे तेवरों ने उन्हें टीम का सबसे खड़ूस सदस्य बना दिया, लेकिन सौरव नहीं बदले। गांगुली आज भी बिल्कुल वैसे ही हैं। ग्रेग चैपल के साथ हुए विवाद से लेकर इंडियन प्रीमियर लीग में ना चुने जाने से लेकर हर जगह गांगुली ने अपनी शाही अंदाज में हर समस्या से जूझा है।

चैपल ने उनके खिलाफ खूब शिकायतें की लेकिन वे कभी नहीं झुके। ऐसे ही आईपीएल में जब कोलकाता नाइटराइडर्स के शाहरुख खान ने उन्हें टीम के लिए नहीं खरीदा और टीम का मेंटर बनने का ऑफर दिया तब गांगुली ने उसे ठुकराते हुए पुणे वॉरियर्स के करार कर लिया।

सौरव गांगुली को जब टीम से निकाला गया तब उन्होंने घरेलू क्रिकेट में शानदार खेल दिखाकर चयनकर्ताओं को उन्हें वापस लाने के लिए मजबूर कर दिया। अपनी वापसी में उन्होंने जमकर रन बनाए। कुछ ऐसा है दादा का दम। सौरव अब भी थके नहीं हैं और 4-5 साल और क्रिकेट खेलना चाहते हैं।

पड़ोसी से हो गया प्यार

डोना और गांगुली के परिवार पड़ोसी थे। यहां तक की कोलकाता के बेहाला स्थित इन दोनों घरों की बाउंड्री वॉल एक ही थी। जैसा कि हर फिल्मी प्रेम कहानी में होता है, दोनों परिवारों में दुश्मनी थी। लेकिन सौरव और डोना तो बचपन से ही एक दूसरे को चाहने लगे थे। गांगुली सेंट जेवियर में पढ़ा करते थे और डोना लोरेटो कॉन्वेंट में। गांगुली डोना की एक झलक पाने के लिए उनके स्कूल के चक्कर काटा करते थे। किसी दिन अगर वो नहीं भी दिख पाती थी, तो भी गांगुली वो उस स्कूल में उपस्थित है इसी ख्याल को सोचकर मुस्कुरा लिया करते थे।

जब डोना 12वीं क्लास में पढ़ती थीं तब दोनों ने अपने प्यार को गंभीरता से लेना शुरु कर दिया। लेकिन दोनों के परिवार इस शादी के खिलाफ थे। खासकर गांगुली की फैमिली किसी गैर ब्राह्मण लड़की को अपनी बहू नहीं बनाना चाहते थे।

कर ली शादी चुपके-चुपके

समय बीतता गया और दोनों अपने-अपने करियर को संवारने में व्यस्त हो गए। सौरव क्रिकेटर और डोना एक उड़ीसी डांसर बनना चाहती थीं। उन्होंने गुरु केलूचरन महापात्रा से ये कला सीखी है। गांगुली का चयन भारतीय टीम में हो चुका था। इंग्लैंड के लॉर्ड्स मैदान पर अपने पदार्पण मैच में शतक जमाकर सौरव मशहूर हो चुके थे। अंततः दोनों ने शादी के बंधन में बंधने का निर्णय लिया।

गांगुली ने इसके लिए अपने साथी खिलाड़ी मोलोय बेनर्जी को अपने साथ कर लिया। परिवारों के विरोध के बावजूद गांगुली और डोना दक्षिण कोलकाता स्थित बेनर्जी के निवास पर पहुंचे। वहां से तीनों रजिस्ट्रार के दफ्तर चले गए।

ऑफिस में मीडिया और लोगों की नजर में आने के कारण दोनों ने शादी का विचार कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया। बेनर्जी के सुझाव पर गांगुली ने रजिस्ट्रार को बेनर्जी के घर ही बुलवा लिया। मोलोय बेनर्जी के निवास पर 12 अगस्त 1996 में सौरव और डोना कानूनी पति पत्नी बने थे। उस समय सौरव 23 और डोना 20 साल की थीं। गांगुली के लिए ये जरूरी था कि उनकी शादी की खबर अभी मीडिया और उनके घर तक ना पहुंचे। इसलिए वो चुपचाप विवाह के दो दिन बाद श्रीलंका दौरे के लिए रवाना हो गए।

मान गए घरवाले

अब शादी की बात छुपने वाली तो थी नहीं। जल्द ही दोनों परिवारों को मिस्टर एंड मिसेज गांगुली के बारे में पता चल गया। पहले तो सब दुखी हुए लेकिन फिर अपने बच्चों की खुशी में शरीक हो गए। 21 फरवरी 1997 को दोनों का पारंपरिक रूप से गठबंधन किया गया। डोना के लिए आज भी सौरव उनके वही पड़ोसी और सबसे करीबी दोस्त हैं। शादी के 15 साल बाद भी सौरव और डोना की प्रेम कहानी ऐसी लगती है मानो कल की ही बात हो।

सेंचुरी के साथ डेब्यू

गांगुली ने 20 जून 1996 को इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में हुए मुकाबले से टेस्ट करियर का आगाज किया था। उस मैच में उन्होंने शतक लगा कर इतिहास रचा था। गांगुली ने अपने टेस्ट करियर में 113 मैचों में 42.17 की औसत से 7212 रन बनाए। इसमें 16 शतक और 35 अर्धशतक शामिल रहे। उन्होंने टेस्ट मैचों में 51.25 की स्ट्राइक रेट से 900 चौके और 57 छक्के भी लगाए।

बैटिंग ही नहीं बॉलिंग में भी गांगुली ने बेहतरीन परफॉर्मेंस दिया। उन्होंने अपने करियर की 99 पारियों में गेंदबाजी करते हुए 32 विकेट चटकाए। गांगुली का टेस्ट में हाई स्कोर 239 रन का रहा। यह स्कोर उन्होंने 8 दिसंबर 2007 को पाकिस्तान के खिलाफ बेंगलुरु टेस्ट में बनाया था। यह उनके टेस्ट करियर का एकमात्र दोहरा शतक रहा। य

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