श्रीलंका सीरीज के लिए टेस्ट टीम का एलान क्या हुआ हंगामा मच गया। सिलेक्टर्स ने एक बोल्ड कदम उठाते हुए एक या दो नहीं चार सीनियर खिलाड़ियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। चेतेश्वर पुजारा, अजिंक्य रहाणे और ईशांत शर्मा की तरफ से कोई रिएक्शन नहीं आया। लेकिन विकेटकीपर रिद्धिमान साहा गुस्से से भर गए। उन्होंने बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली से लेकर कोच राहुल द्रविड़ तक पर बयानबाजी कर डाली। क्या उनका इस तरह सीनियर्स के खिलाफ बयान देना सही है? आइए साहा से जुड़े कुछ फैक्ट्स पर नजर डालते हैं…
क्या क्षेत्र के आधार पर टीम में टिकेंगे साहा?
टीम से बाहर होते ही रिद्धिमान साहा ने पहला निशाना बीसीसीआई अध्यक्ष पर साधा। उन्होंने कहा, “हाल ही में मेरे साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट में अच्छी पारी खेलने के बाद दादी (सौरव गांगुली) ने मुझे बधाई दी थी। उन्होंने कहा था कि जब तक वे बोर्ड में हैं, मैं टीम से बाहर नहीं जाऊंगा। अचानक क्या हुआ कि सबकुछ बदल गया।”
साहा ने अपने अच्छे परफॉर्मेंस का उदाहरण नहीं दिया। उन्होंने गांगुली के सहारे की बात की। क्या खराब प्रदर्शन के बाद भी उनको टीम में टिके रहना था। क्या गांगुली सिर्फ वेस्ट बंगाल का होने की वजह से साहा को टीम में बनाए रखते? यदि साहा का मतलब बंगाली होने से था, तो वे गलत हैं। टीम में बने रहने के लिए सिर्फ फिटनेस और प्रदर्शन आधार होना चाहिए। किसी का रिश्तेदार या एक ही स्टेट का होना मायने नहीं रखना चाहिए।
क्यों होना चाहिए विकेटकीपर रिद्धिमान साहा को बाहर?
इसमें कोई दो राय नहीं कि साहा की विकेटकीपिंग स्किल्स शानदार हैं। लेकिन सिलेक्टर्स हमेशा टीम के फ्यूचर को देखते हुए सिलेक्शन करते हैं। साहा की उम्र उनके सिलेक्शन के आड़े आ गई।
साहा 37 साल के हैं। सिलेक्टर्स टीम में युवा विकेटकीपर्स को नरचर करना चाहते हैं। उनके पास रिषभ पंत और ईशान किशन के रूप में दो युवा हैं। टेस्ट टीम में सिलेक्टर्स ने केएस भरत को बैकअप विकेटकीपर रखा है। इसमें कोई बुराई नहीं है।
उम्र के अलावा साहा का प्रदर्शन भी कुछ खास नहीं है। वे 40 टेस्ट मैच खेल चुके हैं। जिनमें उन्होंने 29.41 के औसत से कुल 1353 रन बनाए हैं। घरेलू फर्स्ट क्लास में उनका प्रदर्शन थोड़ा बेहतर है। उन्होंने 122 मैचों में 41.98 के औसत से 6423 रन बनाए हैं। इसमें 13 शतक और 38 पचासे शामिल हैं। उनका हाई स्कोर 203* रन का है। लेकिन इंटरनेशनल लेवल पर वे औसत ही रहे हैं।
युवा पंत हैं साहा से आगे, बना चुके हैं वर्ल्ड रिकॉर्ड
सिलेक्टर्स 24 साल के रिषभ पंत को टीम का फ्यूचर विकेटकीपर देख रहे हैं। देखें भी क्यों नहीं, उनका परफॉर्मेंस 37 साल के साहा पर भारी है। सबसे पहले दोनों की विकेटकीपिंग परफॉर्मेंस की बात करते हैं।
साहा ने महज 28 टेस्ट मैचों में 110 डिसमिसल्स किए हैं। इसमें 102 कैच और 8 स्टंपिंग शामिल हैं। वहीं साहा ने 39 मुकाबलों में कुल 104 डिसमिसल्स किए। इसमें 92 कैच और 12 स्टंपिंग शामिल हैं।
डिसमिसल प्रति इनिंग की बात करें तो रिषभ पंत का रिकॉर्ड देश के नंबर 1 कीपर एम एस धोनी से भी आगे है। पंत का रेट 2 डिसमिसल्स प्रति इनिंग का है। वहीं धोनी का 1.771। रिद्धिमान साहा का रेट 1.389 का है।
इतना ही नहीं, पंत के नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड भी है। 6 दिसंबर 2018 को ऑस्ट्रेलिया में पंत ने एक खास कीर्तिमान बनाया था। उन्होंने एडिलेड टेस्ट में 11 डिसमिसल्स किए थे। एक टेस्ट में बतौर विकेटकीपर यह टेस्ट इतिहास का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। उन्होंने इंग्लैंड के रसैल और साउथ अफ्रीका के एबी डिविलियर्स के वर्ल्ड रिकॉर्ड की बराबरी की थी।
साहा उनसे ज्यादा पीछे नहीं हैं। उन्होंने 2018 के साउथ अफ्रीका टूर पर एक मैच में 10 डिसमिसल्स किए थे। वे वर्ल्ड रिकॉर्ड से महज एक कैच से चूक गए थे।
बल्लेबाजी में भी पंत आगे
अब बात करते हैं बल्लेबाजी की। यहां भी पंत साहा से आगे हैं। पंत ने कुल 48 टेस्ट इनिंग्स में 39.43 के एवरेज से 1735 रन बनाए हैं। इसमें 4 सेंचुरी और 7 हाफ सेंचुरी शुमार हैं। उनका हाई स्कोर 159* रन का है। जो कि उन्होंने 3 जनवरी 2019 को सिडनी टेस्ट में बनाया। पंत ने चार में तीन टेस्ट सेंचुरी विदेशी मैदानों पर बनाई हैं।
वहीं रिद्धिमान साहा ने 56 टेस्ट पारियों में 29.41 के एवरेज से 1353 रन बनाए। इसमें 3 सेंचुरी और 6 पचासे शामिल हैं। उनका हाई स्कोर 117 रन का है। जो कि उन्होंने 16 मार्च 2017 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रांची में बनाया। साहा ने तीन में दो सेंचुरी घरेलू मैदानों पर लगाई हैं। इकलौती विदेशी मैदान पर टेस्ट सेंचुरी उन्होंने वेस्ट इंडीज में लगाई थी। वह भी साल 2016 में।
फर्स्ट क्लास क्रिकेट की बात करें तो यहां भी पंत साहा से आगे हैं। उन्होंने रन जरूर कम बनाए, लेकिन औसत बेहतर है। जहां साहा का औसत 41.98 का है, वहीं पंत 46.58 का एवरेज रखते हैं। पंत का हाई स्कोर 308 रन का है। उनके खाते में 9 फर्स्ट क्लास सेंचुरी शुमार हैं।
केएल राहुल से लें सीख
विकेटकीपर रिद्धिमान साहा टीम से बाहर होने पर बौखलाए हैं। लेकिन यह बात उन्हें भी माननी पड़ेगी कि वे खुद इसके लिए जिम्मेदार हैं। 40 टेस्ट मैचों का एक्सपीरियेंस कम नहीं होता। लेकिन वे कभी खुद को उपयोगी बल्लेबाज साबित नहीं कर सके। यदि उनके बैटिंग बेहतर होती तो वे सिर्फ विकेटकीपर के तौर पर शामिल नहीं रहते।
साहा के सामने केएल राहुल एक अच्छा उदाहरण हैं। राहुल की फील्डिंग पोजिशन विकेटकीपर की है। लेकिन वे टीम में बतौर टॉप ऑर्डर बैट्समैन खेलते हैं। उन्होंने अपनी बैटिंग पर फोकस कर अपनी टीम में जगह बनाई।
राहुल के पास साहा जितना ही टेस्ट एक्सपीरियेंस है। उन्होंने 43 टेस्ट खेले हैं। उनके खाते में 35.37 के एवरेज से 2547 रन हैं। इसमें 7 सेंचुरी और 13 हाफ सेंचुरी शुमार हैं। हाई स्कोर 199 रन का है। यदि वे भी सिर्फ कीपर के तौर पर अपना सिलेक्शन चाहते, तो शायद पंत के साथ कॉम्पिटीशन करते ही खत्म हो जाते। लेकिन उन्होंने सिलेक्टर्स को अपनी परफॉर्मेंस से इम्प्रैस कर बतौर बैट्समैन टीम में जगह बनाई।
थोड़े वक्त पीछे चलें तो महेंद्र सिंह धोनी ने भी अच्छे बल्लेबाज के तौर पर टीम में जगह बनाई थी। वे वर्ल्ड के बेस्ट फिनिशिंग बैट्समैन रहे। वे टीम के कप्तान बने और देश को 2 वर्ल्ड कप जितवाए। फैन्स का कहना है कि साहा का करियर धोनी के साये में खत्म हुआ। लेकिन सही बात तो यह है कि साहा कभी बल्ले से दमखम साबित नहीं कर पाए। यदि वे बल्ले से ज्यादा मजबूत होते, तो सिलेक्टर्स उन्हें कभी टीम से बाहर नहीं रख पाते।
इंडियन टेस्ट टीम के टॉप 10 विकेटकीपर
कीपर | डिसमिसल्स |
---|---|
धोनी | 294 |
सय्यद किरमानी | 198 |
किरन मोरे | 130 |
रिषभ पंत | 110 |
नयन मोंगिया | 107 |
विकेटकीपर रिद्धिमान साहा | 104 |
फारूख इंजीनियर | 82 |
पार्थिव पटेल | 72 |
दिनेश कार्तिक | 57 |
तमहाणे | 51 |
कीपर | रन | सेंचुरी |
---|---|---|
धोनी | 4876 | 6 |
किरमानी | 2759 | 2 |
इंजीनियर | 2611 | 2 |
रिषभ पंत | 1735 | 4 |
मोंगिया | 1442 | 1 |
साहा | 1317 | 3 |
मोरे | 1285 | 0 |
पार्थिव पटेल | 934 | 0 |
कुंदेरन | 831 | 2 |
दिनेश कार्तिक | 516 | 0 |